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कुलेश्वर मंदिर नवागांव धमतरी छत्तीसगढ़ | Kuleshwar Mandir Dhamtari Chhattisgarh
1.धार्मिक तीर्थ स्थल राजिम रायपुर से 45 किलोमीटर दक्षिण में महानदी के दक्षिण तट पर स्थित है ।
2.जहां पैरी एवं सोंढुर नदी का महानदी में संगम होता है इस का प्राचीन नाम ‘कमल क्षेत्र’ एवं ‘पदमपुर’ था ।
3.इसे छत्तीसगढ़ का प्रयाग स्थल माना जाता है ।
4. राजिम में राजीव लोचन देवालय में विष्णु भगवान की पूजा होती है।
5.राजेश्वर ,दानेश्वर एवं रामचंद्र मंदिर इस समूह के अन्य महत्वपूर्ण मंदिर है ।
6.कुलेश्वर शिव मंदिर संगम स्थल पर उचि जगती पर निर्मित है ।
7.9वी सदी ईसवी में निर्मित यह मंदिर पूर्वाभिमुखी है।
8.इस मंदिर के तल विन्यास में गर्भगृह,अंतराल एवं मंडप कुल तीन अंग है।
9.मंडप की भित्ति कलचुरी शासक जगपाल देव अथवा जगत देव का प्रस्तर अभिलेख जुड़ा हुआ है यह स्मारक क्षेत्रीय कला एवं स्थापत्य का सुंदर नमूना है।
10.देवों के देव महादेव ब्रह्मा विष्णु शंकर के भी रचयिता त्रिमूर्ति तीनों लोकों के मालिक त्रिलोकीनाथ तीनों काल को जानने वाले त्रिकालदर्शी विश्व के सभी आत्माओं के परमपिता परमात्मा शिव भी है वह अजन्मा आकार तथा भोक्ता अविनाशी हैं परमधाम के निवासी जिसे हम शांति धाम निर्माण धाम बैकुंठ ब्रह्मलोक कहते हैं।
11.परमात्मा शिव हजारों सूर्य से भी तेज होते है उन्हें इस स्थूल आंखों से देखना संभव नहीं है उनके साथ ही अनुभूति तो किया सकती है वह तो पवित्रता के सागर हम पवित्र बने बगैर उनसे अपना संबंध नहीं जोड़ सकते हैं जब आत्मा पवित्रता का व्रत लेकर उस सर्वशक्तिमान से ध्यान लगाती तो उनके साथ ही उनकी शक्तियों की अनुभूति होने लगती ह।
12.इस आस्था के साथ राजिम में त्रिवेणी संगम पर स्थित कुलेश्वर महादेव प्रसिद्ध मंदिर स्थित है छत्तीसगढ़ के प्राचीन मंदिरों में इसकी गणना की जाती है मान्यता है कि शिवलिंग की स्थापना अपने हाथों से किया था और राम लक्ष्मण सहित तीनों ने मिलकर देवों के देव की यही पर विधि विधान से पूजा अर्चना की जिसका नियम तीर्थ के रूप में पूजा गया ।
13.यहां पर सबसे ज्यादा भीड़ महाशिवरात्रि को देखा जाता है कहते हैं इस दिन बाबा सहगल मात्र से ही प्रसन्न हो जाते हैं और मनचाही वरदान दे देते हैं जिसके कारण यहां लाख संख्या में भीड़ उमड़ती है बाबा के जयकारे से पूरी नदी तट कम पाए मान हो जाते हैं
14तो देखने लायक होती है यहां सावन मास में बाबा को जमा करने के लिए दूर-दूर से आते हैं बरसात के दिनों में कितना भी जल प्रभाव भक्तजन बाकी पूजा आंजना करना बंद नहीं करते और कुछ तो से बाबा की पूजा अर्चना करते जाते हैं
15.वर्तमान में मंदिर में तक पहुंचने के लिए प्रशासन द्वारा लक्ष्मण झूला दिमाग कराया गया है इससे यह पता लगता है कि बाबा के प्रति भक्तों की अटूट श्रद्धा देखी जा सकती है लोगों के अनुसार इस मंदिर में एक गुप्त सुरंग बनी हुई है जो पास ही में लोमस ऋषि आश्रम में इसका निर्गम और एक मार्ग राजीव लोचन मंदिर परिसर में निकलती है।
16.यहां पर प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है त्रिवेणी संगम होने के कारण यहां मंदिर परिसर में बच्चों का मुंडन कार्य किया जाता है मंदिर की बनावट काफी भव्य है मंदिर की न्यू काफी मजबूत है जो भीषण बाढ़ आने पर भी इस मंदिर का बाल बांका नहीं कर सकती।
17.इस मंदिर में अनेक प्राचीन मूर्तियां मुख्य मंदिर के बरामदे में रखी हुई हैं और यह मंदिर विशाल पीपल के छाव में स्थित है शिवलिंग पर सिक्के डालने से सीख के अंदर जाती है और उनकी दुआएं निकलती है जो अपने आप में चमत्कार है।
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